‘ठाकुर श्री बांके बिहारी‘ अपने आप में अनेकों रहस्य समेटे हुए है। बांके बिहारी मन्दिर के सेवायत गोस्वामियों द्वारा बताने पता चलता है कि वैसे तो बांके बिहारी जी के अनेक रहस्य हैं, जिनमें से कुछ यहाँ पर बताने जा रहे है-
1. जब भी ठा. श्री बांके बिहारी जी का कोई भक्त उनके दर्शन कर उनसे श्रद्धापूर्वक नैन मिलाता है, तो स्वतः ही उस भक्त की आँखों में आँसू आ जाते है।
2. कहा जाता है कि कभी कभी ठा. श्री बांके बिहारी जी का विग्रह स्वयं ही गरम हो जाता है। जिस पर तुलसी जी का लेप करने से वह स्वयं ही ठण्डा हो जाता है।
3. बांके बिहारी जी के बड़े नेत्र है, जिससे वह अपने भक्तों को देख रहे है।
4. ठा. श्री बांके बिहारी जी का विग्रह त्रिभंग अवस्था में मन्दिर में विराजमान है।
5. बिहारी जी के विग्रह के पास प्रत्येक रात्रि को लड्डू रखा जाता है। अगर बिहारी जी को रात्रि मे भूख लगे तो वह लड्डू खा सके, क्योंकि ठा. श्री बांके बिहारी जी मन्दिर परिसर में अपने बाल रूप में बिराजमान है।
क्यों बांके बिहारी मंदिर मैं बार बार पर्दा किया जाता है?
पौराणिक कथाओं में वर्णन के अनुसार मान्यता है कि ठा. श्री बांके बिहारी जी के मन्दिर में झाँकी प्रथा अर्थात पर्दा प्रथा पूर्व से चली आ रही है। ऐसा माना जाता है कि जो भी भक्त प्रेमपूर्वक पूर्ण श्रद्धा के साथ बिहारी जी के दर्शन कर उनसे 2 मिनट तक नैन मिला लेता है, तब ठा. श्री बांके बिहारी जी उसकी भक्ती में लीन हो उस भक्त के साथ चल देते है।
मन्दिर के सेवायत गोस्वामियों द्वारा कई बार बताया गया कि बिहारी जी अपने कक्ष में नहीं है। वह अवश्य अपने किसी भक्त की भक्ती में लीन हो उसके साथ चले गये है। ऐसा बहुत बार होने के कारण मन्दिर परिसर के सेवायत गोस्वामियों द्वारा यही एक उपाय निकाला गया कि मन्दिर के मुख्य दरवाजे पर अब से कुछ क्षण पश्चात ही बांके बिहारी मन्दिर के पर्दे को लगाया व हटाया जायेगा। तबसे यह प्रथा चली आ रही है।
इसके साथ ही यह मन्दिर कई लोककथाओं, किंवदंतियों और मिथकों पर आधारित है, जिसके पूर्णत साक्षय नहीं है, पर वह लोगो की लोककथाओं में शामिल मिलती हैै, पूर्व में घटित हो चुकी लोककथाएँ।
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